Monday, 8 August 2022

Maanik Pehanne ki Vidhi (माणिक पहनने की विधि)

 


Panna pehanne ki Vidhi (पन्ना पहनने की विधि )

 


Neelam Pehanne ki Vidhi (नीलम धारण करने की विधि)

 

 Neelam Pehanne ki Vidhi (नीलम धारण करने की विधि)



नीलम धारण करने की विधि !!

!! अंगूठी का शुद्धिकरण!!
अंगूठी का शुद्धिकरण और प्राण प्रतिष्ठा करने के लिए सबसे पहले अंगूठी को शुक्रवार की रात को गंगाजल, कच्चा दूध, शहद और शक्कर के घोल में डूबा कर रखे ! फिर पांच अगरबत्ती शनिदेव के नाम पे जलाए और प्रार्थना करे की "हे शनिदेव मैं आपका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आपका प्रतिनिधि रत्न धारण कर रहा हूँ मुझे आशीर्वाद प्रदान करे !!
शनिवार को सुबह नौ बजे पूजा कक्ष में बैठ जाए ! अपने सामने पांच कटोरी रख ले ! एक में शहद, दूसरी में घी और चीनी का मिश्रण , तीसरी में दही , चौथी में कच्चा दूध और पांचवी कटोरी में गंगाजल ले !!
निचे दिए गए मंत्रो का उच्चारण करते हुए प्रत्येक कटोरी में से अंगूठी को निकालते रहे ! और ऐसा पांच बार करे ! इसके बाद सुलगते हुए कोयले पर 2-3 लौंग रख दे और उसके धुंए में अंगूठी को 3 बार घुमाए !! और भगवान शनिदेव और शिव जी के चरणों को स्पर्श कराते हुए ठीक सवा नौ बजे मध्यमा अंगुली में धारण करे !!
ऊँ शं शनैश्चाराय नमः।
अथवा
ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः।


नीलम को धारण करने के पश्चात सामान्यतः 3 से 6 मास की अवधि में एक बार अच्छी तरह से साफ़ कर लेना चाहिए ! क्यों की ऐसा ना करने पर आपके रत्न पर जमी धुल इसे वातावरण में फैली सकारात्मक ऊर्जा तरंगो को आपके शरीर में स्थानांतरित करने में बाधा उपस्थित कर सकती है ! जिससे आपका रत्न पूर्ण रूप से आपको लाभ प्रदान नहीं कर पता है

Note:- नीलम धारण करने के 30 दिनों में प्रभाव देना आरम्भ कर देता है और लगभग 4 वर्ष तक पूर्ण प्रभाव देता है और फिर निष्क्रिय हो जाता है !

Pukhraj Pehanne ki Vidhi (पुखराज धारण करने की विधि)

 Pukhraj Pehanne ki Vidhi (पुखराज धारण करने की विधि)



!! अंगूठी का शुद्धिकरण!!


अंगूठी का शुद्धिकरण और प्राण प्रतिष्ठा करने के लिए सबसे पहले अंगूठी को बुधवार की रात को गंगाजल, कच्चा दूध, शहद और शक्कर के घोल में डूबा कर रखे ! फिर पांच अगरबत्ती बृहस्पति देव के नाम पे जलाए और प्रार्थना करे की "हे बृहस्पति देव मैं आपका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आपका प्रतिनिधि रत्न धारण कर रहा हूँ मुझे आशीर्वाद प्रदान करे !!
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गुरुवार को सुबह नौ बजे पूजा कक्ष में बैठ जाए ! अपने सामने पांच कटोरी रख ले ! एक में शहद, दूसरी में घी और चीनी का मिश्रण , तीसरी में दही , चौथी में दही और पांचवी कटोरी में गंगाजल ले !!
निचे दिए गए मंत्रो का उच्चारण करते हुए प्रत्येक कटोरी में से अंगूठी को निकालते रहे ! और ऐसा पांच बार करे ! इसके बाद सुलगते हुए कोयले पर 2-3 लौंग रख दे और उसके धुंए में अंगूठी को 3 बार घुमाए !! और भगवान बृहश्पति देव और भगवान विष्णु जी के चरणों को स्पर्श कराते हुए ठीक सवा नौ बजे तर्जनी अंगुली में धारण करे !!

ब्रह्म ब्रह्स्पतिये नम:

या
 
ज्ञां ज्ञीं ज्ञूं सः जीवाय नमः 

 या

ऊं ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:
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पुखराज को धारण करने के पश्चात सामान्यतः 3 से 6 मास की अवधि में एक बार अच्छी तरह से साफ़ कर लेना चाहिए ! क्यों की ऐसा ना करने पर आपके रत्न पर जमी धुल इसे वातावरण में फैली सकारात्मक ऊर्जा तरंगो को आपके शरीर में स्थानांतरित करने में बाधा उपस्थित कर सकती है ! जिससे आपका रत्न पूर्ण रूप से आपको लाभ प्रदान नहीं कर पता है

Note:- पुखराज धारण करने के 30 दिनों में प्रभाव देना आरम्भ कर देता है और लगभग 4 वर्ष तक पूर्ण प्रभाव देता है और फिर निष्क्रिय हो जाता है !

Tuesday, 12 July 2022

मैहर माता दर्शन यात्रा के हाल !! Maihar Darshan

 Date: 12-07-2022 (Tuesday)


हाँ जी तो इस रविवार (10-07-2022) को हो गयी हमसे गलती, जो हमने सोचा की पन्ना में रह रहे है, मैहर माता के दर्शन के लिए चल चले ! दुबारा पता नहीं कब मौका मिले ! तो जी सुबह सपरिवार और एक मित्र की  कार से निकल पड़े पन्ना से मैहर की तरफ ! चिलचिलाती धुप और उमस भरा मौसम जान निकाले दे रहा था ! करीब 10 बजे मैहर पहुंचे ! काफी जद्दोजहद के बाद पार्किंग में कार खड़ी करने का जगह मिला ! जहाँ पार्किंग था वहां पर बारीक कंक्रीट बिखरी हुई थी ! मंदिर में जूते चप्पल ले जाना मना था तो उन्हें कार में ही उतार कर रख दिया ! जैसे ही पैर उस बिखरी हुई कंक्रीट पर रखा, गर्मी के मारे रूह काँप गया !! जैसे ही कार से निकलो, प्रसाद देने वाले ऐसे घेर लेते है जैसे आप गुड़ है और वो मक्खियाँ ! मंदिर जाने के 02 ऑप्शन है, एक सीढ़ियों से और दूसरा रोप वे से ! जल्दी के चक्कर में हमने सोचा की रोप वे वाला रास्ता चुनते है ! पहुंचे वहां जहाँ से रोप वे के लिए लम्बी सी कतार है !

एक कतार है रोप वे तक जाने के लिए और दूसरी कतार है रोप में जाने के लिए टिकट खरीदने के लिए ! लम्बी कतार देख कर हमारे मित्र ने सीढ़ियों से जाने का निर्णय लिया ! हमारे साथ दो बच्चे होने के कारण हमने रोप वे से जाने का निर्णय लिया (और बस यही गलती हो गयी) दुखो का पहाड़ सामने खड़ा था और हम अनजान !! टिकट की लम्बी लाइन देख कर किसी मित्र से पूछा की जल्दी टिकट कैसे मिल सकती है, तो उसने बताया की आप https://maashardalive.com/ साइट पर टिकट बुक कर सकते है ! तो जी हमने उठाया अपना फोनवा और लगे टिकट बुक करने, मेरा, वाइफ का एक बच्चे का (दूसरा बच्चा अंडर 3 इयर्स था), तीनो की टिकट के हुए 373 रूपये ! हमने गूगल पे से पेमेंट कर दिया और पैसे बैंक अकॉउंट से डेबिट हो गए ! लेकिन हम घूम फिर के वापिस *Pay Now * पर आ गए ! टिकट हुआ नहीं ! हम इस बम्पर गर्मी के बच्चो को लेके कभी इधर जाए तो कभी उधर !  SIS Security के गार्ड लगे थे वहां, जिन्हे पेमेंट से सम्बंधित किसी भी समस्या का निवारण कैसे किया जायेगा, कुछ नहीं पता !! भीड़ तो मैनेज कर नहीं पा रहे थे तो किसी को हल कहाँ से देते ! काम करने के लिए अपनी दूकान, अपने चुत्तड़ उठाने पड़ेंगे ना, और वो है काहिल, आलसी, कोई मतलब नहीं! सब जगह जा कर देख लिया, मंदिर कमिटी के पास भी जा के देख लिया ! कुछ ना हुआ ! पैसे डूब गए ! अब फुद्दुओ की तरह फिर टिकट वाली लाइन में लगे, आधे घंटे में नंबर आया, फिर से 373 रूपये की क़ुरबानी दी गयी ! (क़ुरबानी इसलिए लिखा क्यों की उस दिन थी बकरीद), टिकट ले कर आये रोप वे की लाइन में ! 

रोप वे बना की लोग जल्दी जा सके, आराम से जा सके और बिना किसी परेशानी के जा सके ! लेकिन ये सुविधा यहाँ कहाँ ! जिगजैग स्टाइल में लाइन सिस्टम बना था, 50 मीटर के घेरे में कितने जिगजैग है की आप करीब 2 किलोमीटर चल लोगे, लम्बी कतार लगी है, मंदिर प्रशाशन की तरफ से ना पानी का कुछ इंतजाम है, और ना पंखो का ! एक नंबर और दो नंबर के लिए भी कोई सुविधा नहीं !  अच्छा भक्त के नाम पर वाहियात लोग भी शामिल थे ! जल्दी दर्शन के चक्कर में आदमी लाइन तोड़ कर दूसरी लाइन में घुस जाता है ! पहले अपनी बीवी को घुसेड़ा और फिर खुद ! मेरी वाइफ में देखा तो मुझसे कहा की ये देखो क्या हो रहा है ! लोग यहाँ कब से लाइन में लगे है और ये लोग लाइन तोड़ के आगे जा रहे है ! मैंने कहा की क्या कर सकते है , बेशर्म लोगो के आगे क्या कर सकोगे ! जब बेशर्म बन के काम करेंगे तो किस किस को कहेंगे ! भाई साब बेशर्म क्या कहा, सामने वाले को मिर्ची लग गयी, वो ऐसे तमतमाया की जैसे हमने उसकी मैया की अंगिया में हाथ डाल दिया हो ! जानवर को इसलिए बुरा लग गया की उसको जानवर क्यों बोल दिया ! जाहिल लोग, बुद्धि से पैदल ! 10 : 30 बजे के लाइन में लगे हुए तो रोप वे में बैठने का नंम्बर आया दोपहर के 2 :00 बजे ! मेरे मित्र, सीढ़ियों से दर्शन करके वापिस निचे आ गए है और हम अभी ट्राली में बैठने के लिए लाइन में लगे इंतजार कर रहे है ! गर्मी के मारे हलक सुख रहा है और गुस्सा इस बात का आ रहा है की किस मनहूस घडी में आने का निर्णय लिया ! वहां से ऊपर  गए, जब दर्शन करने गए तो देखा सामने जाहिलो की लम्बी लाइन, एक दूसरे के ऊपर चढ़े हुए आदमी और औरते ! गेट नंबर 4 से आने वाले भक्तो की लाइन थी और गेट नंबर 1 से बाहर निकलने वालो की ! हम लाइन में लगे है, धुप प्रचंड प्रकोप में है ! पास में एक गुमटी बनी है जिसमे कुछ कर्मचारी माइक में लोगो को दिशा निर्देश दे रहे है ! और साथ में चिल्ला चिल्ला के बोल रहे है की गेट नंबर चार भक्तो के बाहर आने का रास्ता है, आप कृपा इस रस्ते से अंदर ना जाए ! अंदर जाने वाले को बिलकुल फ़र्क़ नहीं पड़ता की कौन क्या कह रह है, उसको अंदर घुसने का मौका चाहिए, जहाँ से रास्ता मिले घुस रहा है ! 

चलो जी कैसे न कैसे करके अंदर पहुंचे तो अंदर खड़े लोग धक्के मार के बाहर निकालने में लगे है ! अरे बुद्धिविहीनो, मुर्खाधीशो, आदमी चार से पांच घंटे इस भयानक गर्मी में कुत्ते की तरह लाइन में लग कर यहाँ तक इसलिए आया है की *माँ शारदा के दर्शन* कम से कम 10 सेकण्ड्स तो कर सके, अपने मन की बात माँ से कह सके ! माँ को निहार सके और माँ को अपना दर्द बता सके ! कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता उनको, एक रटे हुए तोते की तरह, उनको एक ही गीत गाना है "आगे बढ़ते रहो, जल्दी जल्दी आगे बढ़ो", हम भी इसी गीत के शिकार हुए, आगे बढे और तुरंत बाहर निकल गए ! 

मन में ये सुकून था की चलो दर्शन तो हुए, अब सब ठीक है ! टाइम दोपहर के 2 : 30 बज रहे है ! भूख भी लग रही है! मंदिर ने पानी के नाम पर नाम मात्र का इंतजाम कर रखा था, पानी की ताकि से आता गर्म और बेस्वाद पानी ! मेरे कंधे पर बैग था, खाने में नाम पर कुछ बिस्किट थे और कुरकुरे ! बच्चो को थोड़ा वो खिलाया और अब आगे की लड़ाई लड़ने के लिए कमर कसने लग गए ! अब निचे जाने के लिए वही लम्बी ज़िगज़ैग वाली लाइन ! वही वाहियात और मुर्ख लोग ! कुछ लाइन तोड़ के आगे बढ़ रहे है, जैसे घर में आग लगी है और उनको बुझाने जाना है ! और कुछ आपसे में लड़ने में इतने मशगूल है की उनको ये नहीं पता की मंदिर में खड़े है या मयखाने में ! धारा प्रवाह गालिया दे कर लोगो का मनोरंजन कर रहे है या लज्जित ! 

बड़ी मुश्किल से निचे उतरने का नंबर आया, रोप वे की एक ट्राली में बीवी और बच्चे और दूसरी में मैं ! ट्राली कुछ ही आगे की तरफ बढ़ी और लाइट चली गयी, ऊंचाई पर ट्राली रुक गयी ! धैर्य अब जवाब दे रहा था ! की इस बार तो आने की गलती कर दी आगे से आने से पहले सोचना पड़ेगा ! 

दर्शनों के लिए जाता है तो समस्याऐ आती है, लेकिन इस तरह की वाहियात समस्या नहीं ! की लोग लाइन तोड़ कर आगे बढ़ रहे है, जो लोग देर से खड़े है उन्हें और देर हो रहा है ! गुस्सा तो मन  में इतना था की मार डाले इन्हे ! ये दर्शन के लिए आये है, लोग इनके अंतिम दर्शन के लिए आये ! मूर्खो को जीने का अधिकार नहीं है !  वैष्णोदेवी गया हूँ मैं, श्रायन बोर्ड का इंतजाम इतना जबरदस्त है ना की मैंने शायद ही ऐसा इंतजाम नहीं और देखा होगा !

चाहे उड़ीसा का पूरी धाम हो या मथुरा वृन्दावन ! पंडितो का और दर्शनर्थियो का उत्पात देखा है ! दुबारा जाने का इच्छा मर गया !! जैसे आज यहाँ आके मर गया ! मैंने तो माँ शारदा से कहा की मेरी मन्नत पूरी हो या ना हो, तेरी मर्जी, दुबारा नहीं आऊंगा ! मंदिर प्रशाशन का बदइन्तजाम रहा इसमें ! ना सिक्योरिटी किसी काम की और ना सेवादार ! हाँ माइक में चिल्ला चिल्ला के एक बात बोल रहे थे *दान ज्यादा से ज्यादा दे और दान पेटी में डाले* !!

भूख के मारे बेहाल था, धुप से पैर जल रहे है ! ना छाया और इंतजाम और ना पानी का !  जहाँ जहाँ लोगो का आना जाना लगा है वह रबर के डोरमेट डाले हुए है जो गर्मी में और पैरो से चिपक रहे है ! अरे मुर्खाधिराजो ! कुछ और सोच लेते ! गर्मी से बचने के लिए टाट की बोरी ही लगा देते  सस्ती आती और पैरो में जलती भी नहीं ! 


निचे उतर के बाहर आये ! तो सामने वो दिखा, जो इस टूर में सबसे खूबसूरत लगा ! वो था ये की सामने एक लंगर बना हुआ है, श्री गुरु काष्र्णी माँ शारदा सेवा संसथान द्वारा बना हुआ भंडारा, जिसका नाम उन्होंने *माई की रसोई* का नाम दे रखा था ! निशुल्क भोजन ! वही प्लेट और चम्मच लो और खिचड़ी का प्रसाद लो ! एक बार लो, चाहे दो बार लो , कोई रोक नहीं ! एक प्लेट खिचड़ी खायी तब कुछ आराम मिला, सामने दान पेटी रखी है, आप अपनी मर्ज़ी से कुछ भी दे सकते है ! कोई चिल्ला चिल्ला के माइक पर नहीं कहेगा की ज्यादा से ज्यादा दान दे ! उनका कहना है आप दान देंगे तो वो पैसे आने वाले भक्तो के लिए प्रसाद के काम आएंगे! बात जमी और हमने भी श्रद्धानुसार दिया ! वो दिया जो मंदिर की दानपेटी में नहीं दिया !  

हाथ जोड़े और पैर जोड़े और कसम खायी की दुबारा नहीं आएंगे! यहीं ही नहीं, हिंदुस्तान के किसी मंदिर में नहीं ! 


सब जगह यही लोग मिलेंगे, लाइन को तोड़ने वाले, लड़ाई के लिए तैयार रहने वाले, घर वालो से पीड़ित, खुद के अनचाहे बच्चो से पीड़ित ! अनचाहे इसलिए लिखा की अगर चाहत से पैदा किये हुए होते तो वाहियात हरकते नहीं करते , ऐसी धुप में इनको लेके नहीं आते और ये बहाने नहीं करते की हमें आगे जाने दो हमारा बच्चा छोटा है ! रो रहा है !

सब जगह यही पण्डे मिलेंगे जो दान के चिल्लाते मिलेंगे और यही मंदिर मिलेंगे जो बिना किसी प्रशाशन के चलेंगे जिनमे कोई इंतजाम नहीं !

तो ये था मेरा खुद का अनुभव ! जो मैंने देखा और महसूस किया ! बाकी सबकी अपनी अपनी आस्था, श्रद्धा !


अपना सबको राम राम ! सलाम ! 

इंतेजामात की कुछ तस्वीरें सम्मिलित कर रहा हूँ !