दिनांक : 12-04-2020
कोरोना
वायरस के कहर ने
ना तो सिर्फ राज्य
और देश की गति
पर अंकुश लगा रखा है,
वरन ज़िन्दगी को भी आगे
बढ़ने से रोक दिया
है ! विश्व की खतरनाक महामारी
से फ़िलहाल बचने का कोई
विक्लप नहीं है, सिवाय
घर पर रहने के
और सोशल डिस्टेंसिंग यानी
सामाजिक तौर पर दूरी
अपनाने के !
अगर
सब लोग कुछ दिन
अपने घर पर ही
रहे तो ही संक्रमण
की इस चैन को
तोडा जा सकता है
! जब तक कोई आपातकालीन
स्थिति सामने ना आ जाये
!
Lockdown में
जहाँ भी लोगो को मौका लगता है वो बाहर फालतू में टहलने लगते है ! यह सोच कर की अकेले
मेरे बाहर जाने से क्या होगा ? और ऐसा ही सोच कर काफी संख्या में लोग जमा हो कर सोशल
डिस्टेंसिंग यानी सामाजिक तौर पर दूरी के प्लान की धज्जिया उड़ा देते है ! मैं अपनी
इस कहानी से भी यह कहना चाहता हूँ की संक्रमण की इस चैन को तोड़ने के लिए एक एक आदमी
का भागीदार होना आवशयक है!
हर एक आदमी अकेले
क्या क्या कर सकता
है ? यह कोई नहीं
जानता ! इसी के ऊपर
मैं एक कहानी शेयर
कर रहा हूँ !
कहानी
रामायण काल से है
, सीता को रावण हरण
कर के लंका में
ले गया था और
रामचंद्र जी सीता को
वापिस लाने और रावण
का वध करने के
लिए लंका जाने की
तैयारी करते है ! सामने
महा समुद्र होता है और
लंका जाने के लिए
समुद्र को लांघना जरुरी
है ! इसके लिए समुद्र
के ऊपर एक सेतु
का निर्माण बनाया जाना होता है
! सेतु निर्माण की जिम्मेदारी वानर
नल-नील पर है
और हज़ारो वानर पत्थर उठा
उठा कर सेतु निर्माण
के कार्य में नल-नील
की मदद कर रहे
थे ! हर कोई यह
सोच के उत्साहित और
खुश है की आज
भगवान के काम आने
का शुभ अवसर मिला
है ! जन्म जन्म बीत
जाते है, हर बार
भगवान् ही काम आते
है, आज भगवान के
काम आने का दिन
है ! इसलिए हर कोई अपनी
पूरी ताक़त से सेतु
निर्माण के कार्य में
भगवान् के आगे न्योछावर
है !
भगवन
एक तरफ बैठ कर
यह सारा कार्य देख
रहे है ! अचानक उनकी
नज़र एक गिलहरी पर
गयी ! वो समुद्र में
जाती और वहां से
भीग कर आती और
आकर रेत में इधर
उधर पलटती और शरीर पर
लगी मिटटी को समुद्र में
जा कर झाड़ देती
और फिर गीली हो
कर मिटटी की तरफ चल
पड़ती ! प्रभु राम कई देर
से यह दृश्य देख
रहे है !
उसके
आने जाने से वानर
को भी तकलीफ हो
रही होती है ! वानरों
को भय था की
उनके हाथ में बड़े
बड़े पत्थर है और ये
गिलहरी इधर उधर घूम
रही है, गलती से उनके पैरो के निचे ना आ जाए
! वरना फालतू में अपनी जान गँवा बैठेगी ! ! तो
एक वानर ने गिलहरी
से पूछ ही लिया
की "यह बताओ, की
तुम यह कर क्या
रही हो , जो तुम
इधर उधर घूम रही
हो ना, किसी भी
वानर के पैर के
निचे आ जाओगी "
गिलहरी
ने जवाब दिया की
मैं फालतू में इधर उधर
नहीं घूम रही हूँ,
मैं भी भगवान के
इस महान कार्य में
उनकी मदद कर रही
हूँ !
यह सुन कर वानर
हंसा और बोला की
"तेरे एक अकेले से क्या होगा " तेरे बदन पर लगी मिट्टी से क्या होगा ?
गिलहरी
बोली की मेरे अकेले से नहीं होगा यह मैं भी जानती है, लेकिन इसके लिए मैं अपनी कोशिश नहीं छोड़ सकती ! मैं अपनी सारी कोशिश प्रभु के इस कार्य में लगा दूंगी !
और
एक दिन जब इतिहास लिखा जायेगा तो उसमे मेरा भी ज़िक्र होगा, की एक नन्ही से गिलहरी ने प्रभु काज में अपना योगदान दिया !
गिलहरी
का यह जवाब सुन
कर प्रभु राम भी चकित
रह गए और उन्होंने
गिलहरी को पास बुलाया
और प्रेम में भर कर
उसकी पीठ पर अपना
स्नेह भरा हाथ फिराया
और शाबासी दी !
कहानी
आगे यह भी कहती
है की भगवान ने
इतने प्रेम वात्सल्य से उसकी पीठ
पर हाथ फिराया की
उनके हाथ की तीन
अंगुलिया गिलहरी के बदन पर
रेखांकित हो गयी !
गिलहरी
की पीठ पर बानी
ये तीन धारिया प्रभु
की कृपा के निशान
है !
आज एक सेतु बनना
नहीं है आज संक्रमण
के सेतु को तोडना
है ! और वो तभी
संभव है जब आप
अपने घर पर रहेंगे
! जिस तरह गिलहरी ने
राम काज में अपना
योगदान दिया वैसे ही
आप भी भारत सरकार
के कार्य में अपना योगदान
दे और इसलिए आपको
कुछ नहीं करना है,
बस अपने घर पर
रहना है !!
धन्यवाद्
हरी
ॐ तत्सत !!
मुकेश
सोनी
Very beautiful positive Story
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