Thursday, 6 June 2019

Resist the wrong things (ग़लत चीजों का विरोध करे )

सूअर गंदे नाले में आधा घुसा हुआ था। नाले की गन्दगी की बदबू का आदि हो चुका था। उसी में अपना घर बना लिया।
किया होगा किसी जन्म में अच्छा काम की स्वर्ग के देवदूत आए उसे साथ ले जाने को।
देवदूत ने कहा कि तुम्हारे नरकीय जीवन का अंत हुआ आओ अब तुम स्वर्ग के मज़े लो। चलो मेरे साथ।

सूअर ने गन्दगी से भरे नाले में से अपना मुंह बाहर निकाला और देवदूत से कहा कि क्या आप मेरे एक प्रश्न का जवाब दे सकते है ?
देवदूत ने कहा - अवश्य।
सूअर बोला - जिस स्वर्ग की तुम तारीफ कर रहे हो कैसा है वो देखने में ?
देवदूत बोला कि वहां पर बहुत खुशहाली और शांति है। वहां कभी ना मुरझाने वाले पेड़ और पौधे है। भिन्न भिन्न प्रकार के खुशबू वाले फूल है। साफ और स्वच्छ नदी बहती है।

सूअर बोला कि वो सब छोड़ो और यह बताओ कि क्या वहां पर ऐसा नाला है ?
क्या वहां पर गन्दगी और कूड़े के ढेर है ?
देवदूत ने जवाब दिया कि नहीं वहां पर ऐसा कुछ नहीं है।
सूअर ने कहा कि फिर मुझे नहीं जाना वहां । मैं यही बहुत खुश हूं। यह कह कर उसने अपना मुंह फिर से नाला के बहते पानी के अंदर कर लिया।

कुछ ऐसा ही तुम्हारा हाल है, गन्दगी और कचरे में रहते रहते तुम भी इसके आदि हो चुके हो। अब कोई तुम्हे इससे निकालना चाहे भी तो नहीं निकालना चाहते हो। तुम चाहते ही हो कि शहर में कचरे के बड़े बड़े पहाड़ हो। गंदे नाले सब जगह बहते हो। तभी तो गलत चीज का विरोध नहीं करते हो।
तुम्हारे सामने कोई रास्ते पर कचरा फेंके या चलते हुए पान की पीक। तुम नहीं विरोध करते हो।
चाहे गलत ट्रैफिक हो या जगह जगह टूटी हुई रोड, बहते हुए गंदे नाले और बिजली की महा कटौती । तुम आवाज़ नहीं उठाते। क्यों कि तुम भी वही सूअर हो जिसने अब इसी कचरे में जीना अपना मुकद्दर बना लिया है । तुम्हे किसी ने गुलाम बनाया नहीं, बल्कि तुम खुद तैयार बैठे से गुलाम बनने को। तुम चाहते थे कि कोई तुम पर शासन और राज करे।
हजारों बरसो कि गुलामी अब खून बन कर तुम्हारी नसो में उतर चुकी है। गुलाम बने रहने से एक फायदा है तुम्हे कि तुम होने वाले कृत्य के लिए किसी दूसरे को जिम्मेवार ठहरा सको।
कोई इंसान नहीं मिलता तो अपने भाग्य को जिम्मेदार ठहरा सको।
बहुत वक्त बीत चुका है अब तो जाग जाओ और गलत का विरोध करो। वरना यूं ही अपनी जान गलत ट्रैफिक और टूटी हुई रोड कि वजह से गवांते रहोगे। पानी और बिजली संकट पर सरकारी महकमे को कोसना बंद करो।

‌धन्यवाद ।।

"तू अगर मुझे नवाज़े तो तेरा करम है मेरे मालिक, वरना तेरी रहमतो के काबिल मेरी बंदगी नहीं !!

एक मुसलमान फ़क़ीर हुआ !
वो बीस साल एक ही मस्जिद में और एक ही जगह दिन में पांच बार नमाज़ पढता था !
इतने वर्षो से एक ही जगह नमाज़ पढ़ते रहने के कारण अब तो लोगो ने उसकी जगह फिक्स ही कर दी ! सब नमाज़ी जानते थे की यह जगह उस फ़क़ीर की है ! बीस वर्ष बाद एक आकाशवाणी हुई और उसमे कहा की हे नमाज़ी तो सतत बीस बरस से जो नमाज़ अदा कर रहा है ! अल्लाह ने उसे क़ुबूल नहीं की है !
यह सुन कर बाकी के नमाज़ी तो रोने लग गए ! कोई पांच साल लगातार नमाज़ अदा कर रहा था तो कोई दस साल से !!
बाकी नमाज़ी यह सुन कर छाती पीट पीट कर रोने लग गए !!
लेकिन वो फ़क़ीर उठा और ख़ुशी से झूम उठा ! नाचने लग गया और परमात्मा का धन्यवाद् देने लग गया ! ख़ुशी के मारे मस्जिद के दीवारों को चूमने लग गया ! आँखों से अश्क़ बहे जा रहे थे और वो झूम झूम के परमात्मा के सुखद गीत गाये जा रहा था !
लोगो ने समझा की यह फ़क़ीर पागल हो गया है ! इसने सुना नहीं की आकाशवाणी ने क्या कहा है !
लोगो के उसे पकड़ा और निचे बिठा के कहा की यह क्या कर रहे हो तुम ? लगता है तुमने उस आवाज़ को ठीक से सुना नहीं, जरुर तुम्हे सुनने में भूल हो गयी है ! तुम्हारी सतत बीस बरस की पांचो वक़्त की नमाज़ अल्लाह में कुबूल नहीं की है !
तुम्हे तो छाती पीट पीट कर और दहाड़े मार मार के रोना चाहिए ! अल्लाह से शिकायत करनी चाहिए की मेरी बंदगी में कहाँ कमी रह गयी ?
फ़क़ीर हंसा और बोला की कैसी शिकायत और कैसा रोना ?
अरे उसने मेरी बीस बरस की नमाज़ कुबूल ना की तो ना सही ! मुझे कुछ हासिल हो यह सोच के तो मैंने कभी बंदगी की ही नहीं !

अरे उस उपरवाले को मेरी नमाज़ नहीं कुबूल है तो ना सही , लेकिन वो यह तो जानता है की कोई बीस साल से उसकी बंदगी में लगा है ! फल मिले या ना मिले उसका कोई ज़िक्र ना नहीं है तो ना सही , लेकिन बीस बरस से कोई उसकी खिदमत में जुटा है यह तो उसको पता है !!
"तू अगर मुझे नवाज़े तो तेरा करम है मेरे मालिक, वरना तेरी रहमतो के काबिल मेरी बंदगी नहीं !!



हरी तत्सत
मुकेश सोनी