सूअर गंदे नाले में आधा घुसा हुआ था। नाले की गन्दगी की बदबू का आदि हो चुका था। उसी में अपना घर बना लिया।
किया होगा किसी जन्म में अच्छा काम की स्वर्ग के देवदूत आए उसे साथ ले जाने को।
देवदूत ने कहा कि तुम्हारे नरकीय जीवन का अंत हुआ आओ अब तुम स्वर्ग के मज़े लो। चलो मेरे साथ।
सूअर ने गन्दगी से भरे नाले में से अपना मुंह बाहर निकाला और देवदूत से कहा कि क्या आप मेरे एक प्रश्न का जवाब दे सकते है ?
देवदूत ने कहा - अवश्य।
सूअर बोला - जिस स्वर्ग की तुम तारीफ कर रहे हो कैसा है वो देखने में ?
देवदूत बोला कि वहां पर बहुत खुशहाली और शांति है। वहां कभी ना मुरझाने वाले पेड़ और पौधे है। भिन्न भिन्न प्रकार के खुशबू वाले फूल है। साफ और स्वच्छ नदी बहती है।
सूअर बोला कि वो सब छोड़ो और यह बताओ कि क्या वहां पर ऐसा नाला है ?
क्या वहां पर गन्दगी और कूड़े के ढेर है ?
देवदूत ने जवाब दिया कि नहीं वहां पर ऐसा कुछ नहीं है।
सूअर ने कहा कि फिर मुझे नहीं जाना वहां । मैं यही बहुत खुश हूं। यह कह कर उसने अपना मुंह फिर से नाला के बहते पानी के अंदर कर लिया।
कुछ ऐसा ही तुम्हारा हाल है, गन्दगी और कचरे में रहते रहते तुम भी इसके आदि हो चुके हो। अब कोई तुम्हे इससे निकालना चाहे भी तो नहीं निकालना चाहते हो। तुम चाहते ही हो कि शहर में कचरे के बड़े बड़े पहाड़ हो। गंदे नाले सब जगह बहते हो। तभी तो गलत चीज का विरोध नहीं करते हो।
तुम्हारे सामने कोई रास्ते पर कचरा फेंके या चलते हुए पान की पीक। तुम नहीं विरोध करते हो।
चाहे गलत ट्रैफिक हो या जगह जगह टूटी हुई रोड, बहते हुए गंदे नाले और बिजली की महा कटौती । तुम आवाज़ नहीं उठाते। क्यों कि तुम भी वही सूअर हो जिसने अब इसी कचरे में जीना अपना मुकद्दर बना लिया है । तुम्हे किसी ने गुलाम बनाया नहीं, बल्कि तुम खुद तैयार बैठे से गुलाम बनने को। तुम चाहते थे कि कोई तुम पर शासन और राज करे।
हजारों बरसो कि गुलामी अब खून बन कर तुम्हारी नसो में उतर चुकी है। गुलाम बने रहने से एक फायदा है तुम्हे कि तुम होने वाले कृत्य के लिए किसी दूसरे को जिम्मेवार ठहरा सको।
कोई इंसान नहीं मिलता तो अपने भाग्य को जिम्मेदार ठहरा सको।
बहुत वक्त बीत चुका है अब तो जाग जाओ और गलत का विरोध करो। वरना यूं ही अपनी जान गलत ट्रैफिक और टूटी हुई रोड कि वजह से गवांते रहोगे। पानी और बिजली संकट पर सरकारी महकमे को कोसना बंद करो।
धन्यवाद ।।
किया होगा किसी जन्म में अच्छा काम की स्वर्ग के देवदूत आए उसे साथ ले जाने को।
देवदूत ने कहा कि तुम्हारे नरकीय जीवन का अंत हुआ आओ अब तुम स्वर्ग के मज़े लो। चलो मेरे साथ।
सूअर ने गन्दगी से भरे नाले में से अपना मुंह बाहर निकाला और देवदूत से कहा कि क्या आप मेरे एक प्रश्न का जवाब दे सकते है ?
देवदूत ने कहा - अवश्य।
सूअर बोला - जिस स्वर्ग की तुम तारीफ कर रहे हो कैसा है वो देखने में ?
देवदूत बोला कि वहां पर बहुत खुशहाली और शांति है। वहां कभी ना मुरझाने वाले पेड़ और पौधे है। भिन्न भिन्न प्रकार के खुशबू वाले फूल है। साफ और स्वच्छ नदी बहती है।
सूअर बोला कि वो सब छोड़ो और यह बताओ कि क्या वहां पर ऐसा नाला है ?
क्या वहां पर गन्दगी और कूड़े के ढेर है ?
देवदूत ने जवाब दिया कि नहीं वहां पर ऐसा कुछ नहीं है।
सूअर ने कहा कि फिर मुझे नहीं जाना वहां । मैं यही बहुत खुश हूं। यह कह कर उसने अपना मुंह फिर से नाला के बहते पानी के अंदर कर लिया।
कुछ ऐसा ही तुम्हारा हाल है, गन्दगी और कचरे में रहते रहते तुम भी इसके आदि हो चुके हो। अब कोई तुम्हे इससे निकालना चाहे भी तो नहीं निकालना चाहते हो। तुम चाहते ही हो कि शहर में कचरे के बड़े बड़े पहाड़ हो। गंदे नाले सब जगह बहते हो। तभी तो गलत चीज का विरोध नहीं करते हो।
तुम्हारे सामने कोई रास्ते पर कचरा फेंके या चलते हुए पान की पीक। तुम नहीं विरोध करते हो।
चाहे गलत ट्रैफिक हो या जगह जगह टूटी हुई रोड, बहते हुए गंदे नाले और बिजली की महा कटौती । तुम आवाज़ नहीं उठाते। क्यों कि तुम भी वही सूअर हो जिसने अब इसी कचरे में जीना अपना मुकद्दर बना लिया है । तुम्हे किसी ने गुलाम बनाया नहीं, बल्कि तुम खुद तैयार बैठे से गुलाम बनने को। तुम चाहते थे कि कोई तुम पर शासन और राज करे।
हजारों बरसो कि गुलामी अब खून बन कर तुम्हारी नसो में उतर चुकी है। गुलाम बने रहने से एक फायदा है तुम्हे कि तुम होने वाले कृत्य के लिए किसी दूसरे को जिम्मेवार ठहरा सको।
कोई इंसान नहीं मिलता तो अपने भाग्य को जिम्मेदार ठहरा सको।
बहुत वक्त बीत चुका है अब तो जाग जाओ और गलत का विरोध करो। वरना यूं ही अपनी जान गलत ट्रैफिक और टूटी हुई रोड कि वजह से गवांते रहोगे। पानी और बिजली संकट पर सरकारी महकमे को कोसना बंद करो।
धन्यवाद ।।