Monday, 10 December 2018

अति आत्मविश्वास से मत भरो (Do not be over confident)


राजस्थान में एक घुमक्कड़ समुदाय होता है,  लोहार ! लोहार समुदाय का विवरण महाराणा प्रताप के समय काल से भी मिलता है ! महाराणा जब अकबर से युद्ध हार कर जंगल की तरफ चले गए थे और जंगली भोजन पर जीवन व्यतीत कर रहे थे ! उस समय उन्हें समर्थन देने और उनकी तरफ से लड़ने का वायदा करने वाली अग्रिम श्रेणी में लोहार जाती का विशेष नाम आता है !
महाराणा के समय काल से ही वो जाति अपना जीवन महाराणा की लड़ाई को समर्पित करते हुए उन्ही की तरह घुमक्कड़ जीवन जीने की प्रतिज्ञा ली ! आधुनिक काल में तो बहुत सारे अब घर बना के रहने लग गए है ! खेती बाड़ी भी करने लग गए है ! लेकिन कुछ ऐसे परिवार भी है जो अपने पूर्वजो के वचनो का पालन करते हुए घुमक्कड़ जीवन व्यतीत  कर रहे है !
मैंने एक कहानी सुनी है !
गाड़िया लोहार का घर एक बैल गाड़ी पर होता है ! लकड़ी के चाक पर निर्मित लकड़ी की गाडी होती है ! जिस पर उनकी रोज मर्रा का सामान , खाने का सामान और कपड़े होते है ! लोहे के औजार होते है ! उनकी उस गाडी को एक या दो बैल खींच रहे होते है ! पीछे एक कुत्ता बंधा होता है ! कुत्ते के पीछे बंधे होने का कोई ख़ास तर्क नहीं होता ! शायद इसलिए की एक जानवर पाला जा सकता है, उसे बचा खुचा खाना दिया जा सके ! कुत्ता भी अपना कार्य पूरी कुशलता से करने की कोशीश करता ! चाहे वो लोहार के बच्चो के साथ खेलना हो या किसी अजनबी को देखकर भोकना ! 
गाड़िया लोहार परिवार एक गाँव से दूसरे गाँव और फिर दूसरे से तीसरे !!
कुछ दिनों बाद कुत्ते को ये भरम हो गया की इस गाड़ी का बोझ मैंने अपने कंधे पर ले रखा है ! वो बात बात पर बैलो के ऊपर भोकना शुरू कर देता ! आये दिन बैलो पर चिल्लाता की तुम दोनों निकम्मे हो, नालायक हो ! फ्री का खाना खा खा के तुम्हारे शरीर पर मोती चर्बी गयी है, इस गाडी का बोझ मुझे ढोना पड़  रहा है ! अगर मैं इस गाड़ी की पीछे नहीं होता तो तुम लोग पता नहीं कैसे इसका बोझ उठा पाते ! आये दिन इस लोहार की गाडी को ज़मीन पर गिराते रहते !!
बैल भी मस्त मौजी रहे होंगे की कुत्ते की बात को सुन के भी अनसुनी कर देते और अपनी मौज में चलते रहते ! उनकी तरफ से कोई भी जवाब ना पा कर कुत्ता बड़ा खुश होता और मन ही मन सोचता की मैंने कैसे इन्हे व्यवस्थित कर रखा है ! अगर मैं इनका पथ सञ्चालन ना करू तो ये पता नहीं कब इस गाडी को पलट दें !
एक दिन भयानक गर्मी का वक़्त था ! गर्मी के मारे दोनों बैलो का बुरा हाल था ! दोनों पसीने पसीने हो रखे थे ! की ऊपर से ये कुत्ता बार बार उनकी जान खाये जा रहा था ! बार बार उनकी नाक में डैम कर रहा था ! कह रहा था की दोनों निकम्मे हो , काम चोर और नालायक हो ! अगर मैं इस गाडी के पीछे नहीं बंधा होता तो पता नहीं तुम इस गाडी का क्या हाल करते ! मुझे ही इस गाडी का बोझ उठाना पड़ रहा है !
कुत्ते की रोज रोज की इस बक बक से दोनों बैल अब उकता चुके थे ऊब चुके थे ! रोज रोज वही बकवास सुनना  ! आये दिन ताने सुनना  ! गर्मी के मारे वैसे ही दोनों का हाल बेहाल था की दोनों की नज़र एक दूसरे से मिली और आँखों ही आँखों में इशारा हुआ ! इससे पहले की कुत्ता कुछ समझ पता, दोनों बैल एक साथ अचानक से ज़मीन पर बैठ गए ! अब गाडी का पूरा भार कुत्ते की पीठ पर गिरा !
कुत्ते की आँखे बाहर आने को गयी और जीभ बाहर निकल  आयी ! पूरी गाड़ी का भार उसपर कुछ ऐसा गिरा की उसकी समझ में कुछ नहीं आया, बस यह था की यह बजह हटे तो कुछ बात बने ! उसकी साँसे बंद होने को ही थी , आत्मा परमात्मा को मिलने वाली ही थी की बैल अचानक से खड़े हो गए !
बैल जब खड़े हुए और कुत्ते की कमर से वो बोझ उठा तो उसकी जान में जान आयी !
कुछ देर बाद जब उसे होश आया और उसे यह एहसास हुआ की सबकी जगह अपने आप में महत्वपूर्ण है ! परमात्मा ने सबको अपने अपने कार्य में दक्ष किया है, भोकने और काटना मेरा काम हो सकता है लेकिन मैं बोझा उठाने और गाडी खींचने के लिए नहीं बना ! उसके लिए यह बैल ही है !
उसने दोनों बैलो से माफ़ी मांगी और कहा की मैं अनजाने में ही इस गाडी का भार अपने कंधे पर लिए घूम रहा था ! अनजाने भरम को दूर करने के लिए आपका धन्यवाद् !!
बैलो ने भी उसको माफ़ कर दिया !

अति आत्मविश्वास से मत भरो ! हर कोई अपने काम में दक्ष है ! तुम फालतू कुत्ते बन के गाडी का भार अपने कंधे पर मत लो ! दूसरे के कार्य के भार को स्वयं का भार समझने वाले इंसान की हालत इस कुत्ते से ज्यादा नहीं है ! जिस दिन उस पर बोझ पड़ेगा उसे बोध हो जायेगा !
ठोकर खा के सिखने से बेहतर है की इस कहानी से कुछ सीखे !

जय गुरु गोरखनाथ !!

मुकेश सोनी


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Thanks