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वफादारी
का नाम जहाँ आता
है वहां कुत्तो का
नाम ना आये तो
प्रसंग अधूरा लगता है ! जमाने
से कुत्तो की बिरादरी ने
वफादारी की मिशाल पेश
की है ! आज मैं
उसी मिशाल की बात करता
हूँ ! हो सकता है
की कहने का तरीका
अलग हो !
कुत्तो
की जमात में अलग
अलग नस्ल के कुत्ते
होते है ! कुछ काफी
खूबसूरत तो कुछ खतरनाक
, कुछ काफी समझदार होते
है तो कुछ काफी
उदासीन (Moody) !!
कई नस्ल के
कुत्ते तो बहुत महंगे होते है और कुछ उनसे कम महंगे तो काफी कुछ सस्ते होते है ! वैसे
तो हज़ारो नस्ल के कुत्ते होते है लेकिन मैं चंद उन कुत्तो की नस्ल के नाम लिख रहा हूँ
जो अनुमन सभी घरो में आसानी से उपलब्ध हो जाती है !
जैसे - बुलडॉग, जर्मन
शेफर्ड, पेकिंगीस,
पोमेरेनियन, पग,
रोटवेईलर,
लैब्राडोर, माल्टीज़, गोल्डन रिट्रीवर्स
और न्यूफाउंडलैंड !
यह वो नस्ल
है जो लगभग घरो में आसानी से मिल जाती है ! इनके साथ हम खेलते है , इन्हे सुबह शाम
वाक पर ले जाते है ! चूमते है और गोद में उठा के प्यार करते है ! खाना साथ खिला लेते
है और नहलाते भी है ! वफादारी में तो कोई शक
नहीं है लेकि इनके आलसीपन और नाकारेपन के किस्से सुनने में मिल ही जायेंगे !
इन सब से अलग
एक बिरादरी या एक नस्ल और होती है ! गली के कुत्तो की (Street Dogs). जिन्हे ना तो
आप साथ में खाना खिलाते है और ना ही साथ नहलाते है ! गोद में उठा कर चूमना और प्यार
करना तो बहुत दूर की बात है ! जब चाहा दूर से पुचकार लिया और जब चाहा दुत्कार दिया
! इन्हे आपसे कोई गिला नहीं और ना ही कोई शिकवा है !
आपने घर के
बाहर बैठे इन रखवालो को रोटी के २ निवाले क्या दे देते हो यह आपके लिए वफादार हो जाते
है ! सुबह शाम को छोडो अगर आपने इन्हे दिन में एक बार भी ब्रेड या रोटी का टुकड़ा दे
दिया की बस इन्होने अपनी वफादारी आपके नाम कर दी ! आप घर के बाहर भी चले गए तो उसकी
रखवाली भी इन्ही के जिम्मे है !
आप या आपके
परिवार का कोई सदस्य घर से कही बाहर जाता है तो उसके पीछे पीछे चल देते है ! यह सोच
की आपकी सुरक्षा इन्ही की जिम्मेदार बनती है ! इन्हे चाहे कोई गोद में लेके चूमे नहीं
या पुचकार के कोई प्यार ना करे ! जरुरी नहीं की आप इसे साथ में खाना खिलाये या उसके
साथ नहाये ! लेकिन बॉस आप उसकी वफादारी पर शक नहीं कर सकते ! ऊपर लिखी नस्ल के बारे
में मैं १००% विस्वास से नहीं कह सकता की वो वफादारी में सबसे आगे हो लेकिन इनके बारे
में विश्वास से कहा है !
बस बात को यही
से घुमा रहा हूँ ! इंसान की नस्ल में भी यही
समानता है ! मैं बताना चाहता हूँ उन्हें की तुम लाख भले की सोचना उनकी या लाख चर्चा
करना अपनी वफादारी की ! तुम्हारी वफादारी पर कोई शक नहीं है ! लेकिन तुम भी गली के
वही कुत्ते हो जिन्हे गोद में उठा के प्यार नहीं किया जाता ! क्यों की तुम्हारी कोई
नस्ल नहीं ! तुम अपने लोगो को काट खाना और उनके खून का कतरा कतरा बहा देना ! लेकिन
इंसानो की दुनिया में तुम्हारी इज़्ज़त भी दो कौड़ी की है !
तुमने हमेशा
नुकसान किया है , अपने दो रोटी के निवाले पक्के करने के लिए तुमने लोगो के निवालो का
नुकसान किया है ! तुम यह कभी नहीं समझ सके ! अपनी वफादारी की मिशाल देने के लिए तुम
उसी पेड़ की लकड़ी हो जो कुल्हाड़ी के पीछे जुडी हो ! पेड़ काटने में दोष कुल्हाड़ी का नहीं है दोष उस लकड़ी
का है जिसने कुल्हाड़ी का साथ दिया !
तुम्हारा वक़्त
बीत गया या बीत जायेगा ! लेकिन किसी को ना तो तुम्हारी ईमानदारी याद रहेगी और ना ही
तुम्हारी वफादारी !
याद यह रहेगा
की तुमने जिनकी रोटी छीनी है , वो याद करेगा तुम्हे और जब जब याद करेगा तब तब कोसेगा
!!
आशा है ईश्वर
तुम्हे सद्बुद्धि दे, किसी का भला ना कर पाओ तो कम से कम बुरा करने की शक्ति तो ना
दे !